श्रृणु यथा पूर्वं वचनम्

यह पवित्र वाक्य, एक अभिनंदन करता है। यह हमारी विद्या को व्यक्त करता है और हमें ज्ञान की ओर ले जाता है। हर शब्द में गहरा अर्थ छिपा होता ह�

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